भारत के प्रमुख शिया बहुल शहर :भारत विविधताओं का देश है, जहां विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। भारत में दो प्रमुख धर्म, हिंदू धर्म और इस्लाम, सदियों से यहां मौजूद हैं और इन दोनों धर्मों के अनुयायी पूरे देश में फैले हुए हैं। इस्लाम में भी विभिन्न फिरके (समुदाय) हैं, जिनमें प्रमुख हैं – सुन्नी और शिया। भारत में सुन्नी मुसलमानों के बाद दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम समुदाय शिया मुसलमानों का है। शिया समुदाय भारत की कुल जनसंख्या का 1% हिस्सा है, जबकि मुस्लिम आबादी का लगभग 25-30% हिस्सा है।
इतिहास में, भारत के कई हिस्सों पर शिया शासकों ने शासन किया है। शिया संस्कृति और धर्म का प्रभाव यहां के विभिन्न शहरों और कस्बों में देखा जा सकता है। आइए जानें भारत के उन प्रमुख शहरों के बारे में जहां शिया मुस्लिमों की बहुसंख्यक आबादी है और उनकी सांस्कृतिक विरासत कैसे यहां विकसित हुई।
1. हलौर गाँव, उत्तर प्रदेश
हलौर गाँव उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के डोमरिया गंज तहसील में स्थित है। यह गाँव शिया मुसलमानों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और इसे “पूर्वी उत्तर प्रदेश का शिया हब” भी कहा जाता है। हलौर की शिया आबादी कुल मुस्लिम आबादी का 90% से अधिक है, जो इस गाँव को शिया बहुसंख्यक बनाता है। शुरूआत में हलौर एक छोटा सा गाँव था, लेकिन समय के साथ यह एक छोटे से शहर के रूप में विकसित हुआ है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 30,000 है और साक्षरता दर 83% है, जो कि भारत की औसत साक्षरता दर से काफी अधिक है।(शिया बहुल शहर)
यह गाँव शिया समुदाय की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों के संरक्षण का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में मोहर्रम का विशेष महत्व है, जहां लाखों की संख्या में शिया श्रद्धालु शामिल होते हैं। हलौर का नाम प्रसिद्ध धार्मिक व्यक्तित्व, सय्यद शाह अब्दुल रसूल, जिन्हें यहाँ के लोग “मेरा बाबा” के नाम से भी जानते हैं, के नाम पर रखा गया है।(शिया बहुल शहर)
2. जालालपुर, अम्बेडकर नगर(शिया बहुल शहर)
उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले का जालालपुर भी शिया मुस्लिमों का एक प्रमुख कस्बा है। 2011 की जनगणना के अनुसार, जालालपुर की आबादी 31,972 थी और 2024 में यह संख्या 44,000 के करीब पहुंच गई है। इस कस्बे की साक्षरता दर 86.35% है, जो कि एक प्रभावशाली आँकड़ा है। जालालपुर शिया मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है। यहाँ की प्रमुख धार्मिक शख्सियतों में मशहूर शायर हाशिम रज़ा जालालपुरी और अनवर जालालपुरी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।(शिया बहुल शहर)
3. सांखनी, बुलंदशहर(शिया बहुल शहर)
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले का सिंखनी गाँव भी शिया मुस्लिमों का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 15,000 है और यह शिया बहुसंख्यक क्षेत्र है। यहाँ की 95% से अधिक आबादी शिया मुसलमानों की है। यह गाँव न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि शैक्षिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। सिंखनी को “गुरुओं का गाँव” कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से कई शिक्षाविद और शिक्षक निकले हैं, जिन्होंने पूरे देश में अपनी सेवाएँ दी हैं।(शिया बहुल शहर)
4. जैदपुर, बाराबंकी(शिया बहुल शहर)
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का जैदपुर कस्बा शिया समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। ऐतिहासिक रूप से यह एक मुस्लिम सैन्य कॉलोनी के रूप में स्थापित हुआ था। जैदपुर की स्थापना 1070 ईस्वी में सैय्यद अब्दुल्लाह जरबख्श ने की थी, जो ईरान के क़ुम शहर से भारत आए थे। यह कस्बा अपनी पुरानी इमामबाड़ों और मोहर्रम की ताजियों के लिए प्रसिद्ध है। जैदपुर की 2011 की जनगणना के अनुसार, यहाँ की कुल आबादी 34,443 है, जिसमें 81.89% मुसलमान हैं। यहाँ शिया मुसलमानों की उपस्थिति इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान बनाती है।
5. सिरसी, सम्भल उत्तर प्रदेश(शिया बहुल शहर)
सरसी, उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले का एक प्रमुख कस्बा है जहाँ की जनसंख्या लगभग 70,000 है। यह कस्बा शिया मुस्लिमों का एक ऐतिहासिक केंद्र है और यहाँ शिया मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति 800 साल पुरानी है। सरसी में प्रमुख धार्मिक स्थल मकदूम सय्यद जमालुद्दीन का मजार है, जो यहाँ के शिया मुसलमानों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहाँ की साक्षरता दर 70% है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।(शिया बहुल शहर)
6. अमरोहा, उत्तर प्रदेश
अमरोहा, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर है, जहाँ शिया मुस्लिमों की अच्छी खासी संख्या है। 2011 की जनगणना के अनुसार, अमरोहा की कुल आबादी लगभग दो लाख थी, जिसमें 60% मुसलमान और 30% हिंदू हैं। शिया मुसलमानों की यहाँ प्रमुख उपस्थिति है और यह शहर शिया संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। अमरोहा की प्रसिद्ध शख्सियतों में प्रमुख नामों में क़माल अमरोही, जॉन एलिया, और सादिक़ैन शामिल हैं।(शिया बहुल शहर)
7. कारगिल, लद्दाख
कारगिल, जो वर्तमान में भारतीय नियंत्रित लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा है, शिया बहुल शहर है। यह शहर कारगिल युद्ध के लिए भी प्रसिद्ध है, और यहाँ की शिया आबादी कुल जनसंख्या का 90% से अधिक है। 1947 में लद्दाख और कारगिल पाकिस्तान के नियंत्रण में थे, लेकिन बाद में यह क्षेत्र भारत के कब्जे में आ गया। यहाँ की जनसंख्या लगभग 20,000 है और यह लद्दाख का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।(शिया बहुल शहर)
8. अलीपुर, कर्नाटक(शिया बहुल शहर)
कर्नाटक राज्य का अलीपुर एक महत्वपूर्ण शिया बहुल कस्बा है, जो बेंगलुरु से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 30,000 है, और 90% से अधिक आबादी शिया मुस्लिमों की है। अलीपुर को “दक्षिण भारत के रत्नों का गाँव” कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की ज्वेलरी इंडस्ट्री काफी प्रसिद्ध है। इस कस्बे की सबसे खास बात यह है कि यहाँ कोई पुलिस थाना नहीं है, बल्कि यहाँ की शिया समिति “अंजुमन-ए-जाफरिया” ही स्थानीय विवादों को सुलझाती है। अलीपुर की साक्षरता दर 90% से भी अधिक है।(शिया बहुल शहर)
9. नोगवां सादात, अमरोहा
नोगवां सादात, उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले का एक प्रमुख शिया बहुल क्षेत्र है। यहाँ की 93% आबादी शिया मुसलमानों की है। इस कस्बे में लगभग 40,000 लोग रहते हैं और यहाँ 70 से अधिक शिया मस्जिदें और 30 इमामबाड़े हैं। यहाँ के स्थानीय निवासियों के अनुसार, नोगवां सादात शांति और समृद्धि का प्रतीक है और यहाँ हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच कभी कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है।(शिया बहुल शहर)
10. लखनऊ, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शिया मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा केंद्र है। नवाबी दौर से ही यह शहर शिया संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है। लखनऊ की प्रसिद्ध इमारतें जैसे बड़ा इमामबाड़ा, छोटे इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, आदि शिया वास्तुकला और धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं। मोहर्रम के दौरान लखनऊ में शिया समुदाय की धार्मिक गतिविधियाँ अपने चरम पर होती हैं, और यहाँ की इमामबाड़ों में लाखों श्रद्धालु आते हैं।(शिया बहुल शहर)
निष्कर्ष
भारत में शिया मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति और उनकी सांस्कृतिक धरोहर अत्यंत महत्वपूर्ण है। विभिन्न शहरों और गाँवों में शिया समुदाय का योगदान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में भी इनका योगदान उल्लेखनीय है। चाहे वह उत्तर प्रदेश हो, कर्नाटक हो या लद्दाख, शिया मुस्लिम समुदाय ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।(शिया बहुल शहर)
इस लेख में वर्णित शहर और कस्बे न केवल शिया मुस्लिमों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि किस प्रकार यह समुदाय शांति और सामाजिक समरसता के साथ भारतीय समाज में समाहित है।