Auto Shankar भारत के इतिहास में कई अपराधी गुज़रे हैं, लेकिन कुछ ऐसे अपराधी होते हैं जो अपनी क्रूरता और क्राइम की भयानकता के कारण लोगों के दिमाग़ में अमिट छाप छोड़ देते हैं। ऐसा ही एक नाम है जी. शंकर, जिसे पूरी दुनिया में “ऑटो शंकर”(Auto Shankar) के नाम से जाना जाता है। ऑटो शंकर (Auto Shankar)1980 के दशक में तमिलनाडु के चेन्नई में सक्रिय एक कुख्यात सीरियल किलर था। उसकी क्रूर हत्याओं और अपराधिक गतिविधियों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस लेख में हम ऑटो शंकर (Auto Shankar)की कहानी, उसकी पृष्ठभूमि, अपराध की दुनिया में उसका आगमन, और उसकी गिरफ्तारी की कहानी को विस्तार से समझेंगे।

प्रारंभिक जीवन और अपराध की दुनिया में प्रवेश

ऑटो शंकर (Auto Shankar)का जन्म 1954 में तमिलनाडु के सलेम जिले में हुआ था। वह गरीबी में पला-बढ़ा और शिक्षा की कमी के कारण उसने छोटी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। वह चेन्नई (तब का मद्रास) में ऑटो-रिक्शा चलाने का काम करता था, और यहीं से उसे “ऑटो शंकर”(Auto Shankar) का नाम मिला। शुरुआत में, शंकर ने छोटे-मोटे अपराध किए, जैसे अवैध शराब का धंधा और अन्य गैरकानूनी गतिविधियाँ। धीरे-धीरे वह संगठित अपराध की दुनिया में अपनी पकड़ बनाने लगा।

Auto Shankar

शंकर की क्राइम लाइफ की शुरुआत बहुत सामान्य तरीके से हुई, लेकिन उसकी क्रूरता और साजिशों ने उसे जल्द ही चेन्नई के अपराधी जगत का एक बड़ा नाम बना दिया। वह चेन्नई के कुछ प्रभावशाली नेताओं और पुलिसकर्मियों के साथ संबंध बनाने में सफल रहा, जिससे उसे कई गैरकानूनी कामों को अंजाम देने में आसानी हुई।

हत्याओं की शुरुआत

1980 के दशक के अंत में, ऑटो शंकर (Auto Shankar)ने एक के बाद एक क्रूर हत्याओं की एक श्रृंखला शुरू की, जिसने पूरे शहर में डर और दहशत का माहौल बना दिया। 1987 से 1988 के बीच, चेन्नई के समुद्री किनारे से कई लोग अचानक गायब हो गए। जांच के दौरान पता चला कि ये सभी हत्याएँ एक ही व्यक्ति, ऑटो शंकर(Auto Shankar), ने की थीं।

शंकर ने इन लोगों को मारकर उनके शवों को जला दिया या समुद्र में फेंक दिया ताकि उनके शवों का कोई सुराग न मिले। उसने ये हत्याएँ किसी व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण नहीं की थीं, बल्कि उसका मकसद अपने आपराधिक साम्राज्य को बचाए रखना था। जिन लोगों ने उसके खिलाफ गवाही देने की कोशिश की, उन्हें उसने बड़ी बेरहमी से मार डाला।

ऑटो शंकर (Auto Shankar)का गिरोह और अवैध धंधे

ऑटो शंकर(Auto Shankar) का आपराधिक साम्राज्य सिर्फ हत्याओं तक सीमित नहीं था। उसने अवैध शराब, सेक्स-रैकेट, और अन्य कई गैरकानूनी धंधों में भी अपनी जड़ें फैला रखी थीं। वह एक ऐसा नेटवर्क चला रहा था जिसमें पुलिस और राजनीतिक नेताओं की मिलीभगत थी। उसकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई लोग उसके खिलाफ बोलने से डरते थे, क्योंकि उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।

शंकर की सबसे बड़ी ताकत उसका नेटवर्क था। उसने अपराधियों, पुलिस, और नेताओं के बीच एक मजबूत रिश्ता बना रखा था। इसी वजह से उसकी गिरफ्तारी में भी देरी हुई, क्योंकि उसकी रक्षा करने वाले कई उच्च पदों पर बैठे थे। लेकिन कहते हैं कि अपराध जितना भी बड़ा हो, उसका अंत एक दिन जरूर होता है, और यही ऑटो शंकर (Auto Shankar)के साथ भी हुआ।

गिरफ्तारी और ट्रायल

ऑटो शंकर (Auto Shankar)की गिरफ्तारी का मामला अपने आप में एक दिलचस्प कहानी है। जब चेन्नई में एक के बाद एक हत्याएँ होने लगीं और गायब हुए लोगों की संख्या बढ़ने लगी, तब पुलिस पर दबाव बढ़ा। आखिरकार, 1988 में, पुलिस ने शंकर को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद शंकर ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने न केवल अपनी हत्याओं की बात कबूल की, बल्कि यह भी बताया कि किस तरह से उसने पुलिस और नेताओं की मदद से अपने अपराधों को अंजाम दिया।

शंकर के केस का ट्रायल 1989 में शुरू हुआ। ट्रायल के दौरान शंकर ने अपने अपराध कबूल कर लिए, और उसके खिलाफ मजबूत सबूत भी थे। अदालत ने उसे और उसके साथियों को दोषी ठहराया और 1991 में उसे मौत की सज़ा सुनाई गई। 27 अप्रैल 1995 को, शंकर को फांसी पर लटका दिया गया।

ऑटो शंकर (Auto Shankar)का प्रभाव

ऑटो शंकर (Auto Shankar)के अपराध सिर्फ उसकी हत्याओं तक सीमित नहीं थे। उसके मामले ने पुलिस और राजनीतिक तंत्र की कमजोरी को भी उजागर किया। यह दिखाया कि कैसे एक अपराधी पुलिस और नेताओं की मिलीभगत से वर्षों तक बचा रहा और अपने अपराधों को अंजाम देता रहा। उसके मामले ने भारत के न्यायिक और कानूनी तंत्र पर भी सवाल खड़े किए।

ऑटो शंकर (Auto Shankar)की कहानी ने यह भी दिखाया कि कैसे सत्ता और पैसे के लालच में लोग अपराधी का साथ देते हैं। उसकी गिरफ्तारी और फांसी के बाद, तमिलनाडु में संगठित अपराध और भ्रष्टाचार पर कई सवाल उठे। शंकर की मौत के बाद भी उसकी कहानी तमिलनाडु के अपराधी इतिहास में एक काला अध्याय बनी रही।

मीडिया में ऑटो शंकर(Auto Shankar)

ऑटो शंकर (Auto Shankar)की कहानी ने मीडिया का खूब ध्यान खींचा। उसकी गिरफ्तारी, ट्रायल और फांसी की खबरें अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियों में रहीं। उसकी कहानी पर आधारित कई किताबें और डॉक्यूमेंट्री भी बनीं। नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई एक वेब सीरीज़ “ऑटो शंकर” ने उसकी जिंदगी और अपराध की घटनाओं को लोगों तक पहुंचाया। इस वेब सीरीज़ में दिखाया गया कि कैसे एक सामान्य ऑटो ड्राइवर एक खतरनाक अपराधी बन गया और कैसे उसकी गिरफ्तारी हुई।

निष्कर्ष

ऑटो शंकर (Auto Shankar)की कहानी अपराध, भ्रष्टाचार, और न्याय की कमजोरियों का एक जीवंत उदाहरण है। उसकी जिंदगी यह सिखाती है कि अपराध का रास्ता कितना भी बड़ा क्यों न हो, अंत में उसका परिणाम सिर्फ विनाश होता है। शंकर की हत्याओं ने चेन्नई को हिला कर रख दिया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी और फांसी ने यह संदेश दिया कि कोई भी अपराधी कानून से बड़ा नहीं होता।

तमिलनाडु के इतिहास में ऑटो शंकर(Auto Shankar) का नाम हमेशा एक कुख्यात अपराधी के रूप में याद किया जाएगा, जिसने अपने लालच और क्रूरता के कारण न जाने कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद की। उसकी मौत के बाद भी उसकी कहानी लोगों के ज़हन में जिंदा है, और उसकी जिंदगी से जुड़े कई सबक आज भी समाज को सीखने को मिलते हैं।

ऑटो शंकर(Auto Shankar) की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जब समाज में अपराध, भ्रष्टाचार, और नैतिक पतन की जड़ें मजबूत हो जाती हैं, तो उसके परिणाम कितने भयानक हो सकते हैं। लेकिन अंत में कानून का पालन होता है, और न्याय की जीत होती है।

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